शनिवार, 3 दिसंबर 2011

दिलवालों की दिल्ली नगरिया ( गीत )


जानी-पहचानी सी है डगरिया
दिलवालों की दिल्ली नगरिया

रोज बुनते हैं सपने यहाँ पर
बेगाने भी अपने यहाँ पर
तकदीर की कर लूँ मरम्मत
ज़र्रे-ज़र्रे पर मेरी हुकूमत 
है सपनों की बड़ी गठरिया
दिलवालों की .........

शाम रंगीन है और रातें जवाँ  
देख के है ये दुनियां कितनी हैराँ
सियासत की है ये राजधानी
थोड़ी नई है, थोड़ी पुरानी
किसी की लग जाए नज़रिया
दिलवालों की ...........
       
देखो लोकतंत्र का मंदिर हमारा 
इंडिया गेट का दिलकश नज़ारा
कितना प्यारा है यमुना किनारा
हमसब ने दिल्ली को सवांरा
चलो घुमेंगें दिन-दोपहरिया  
दिलवालों की ...........

( सुशील कुमार )

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