बुधवार, 23 अप्रैल 2014
मंगलवार, 22 अप्रैल 2014
सोमवार, 21 अप्रैल 2014
रविवार, 13 अप्रैल 2014
शनिवार, 23 नवंबर 2013
जानता हूँ
जब-जब मैं
बाहर से भीतर की ओर जाता हूँ
मुझे संकरी गलियों में मिलते हैं
कुम्हलाये सपने,
संघर्ष की निशानियाँ
और मंजिल से ठीक पहले
साथ छोड़ गए साथियों के पदचिन्ह
झाड़ता हूँ धूल
चूमता हूँ उनको
जानता हूँ
जब मैं मुकाम पर पहुंचूंगा
ये ही पूजे जायेंगे
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सुशील कुमार
दिल्ली 23 नवम्बर 2013
मंगलवार, 12 नवंबर 2013
बुधवार, 14 अगस्त 2013
रविवार, 14 जुलाई 2013
लोकसत्य में प्रकाशित आलेख
प्रभात खबर में प्रकाशित दो कविताएँ
में रविवार 14 जुलाई 2013 के सृजन पृष्ठ पर छपी है मेरी दो कविताएँ |
बुधवार, 10 जुलाई 2013
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