बुधवार, 23 अप्रैल 2014

वक्त नाजुक है























उसने भेष बदला है 
क्यूंकि खुलेआम  
वह घूम नहीं सकता था यहाँ  

वक्त नाजुक है 
अब मेमने भी उसको 
भेंड समझने लगे हैं 

खून से लथपथ पंजे 
आसानी से मासूमों के 
करीब जा रहे हैं 

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सुशील कुमार 
दिल्ली, 23 अप्रैल, 2014

मंगलवार, 22 अप्रैल 2014

मृत्यु की तरह जीवन











सब कुछ है यहाँ
सब के लिए
धूप, हवा, पानी,
भोजन, वस्त्र, घर
मुस्कराहटें और कहकहें

बस, मृत्यु की तरह जीवन
बराबरी से बाँटा नहीं गया 
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सुशील कुमार
दिल्ली, 22 अप्रैल 2014

सोमवार, 21 अप्रैल 2014

भय

















उपवास भय से
आरती भय से 
परिक्रमा भय से 
जागरण भय से 

भय तुमसे नहीं 
तुम तक पहुंचाने वालों से 


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सुशील कुमार 
दिल्ली, 22 अप्रैल 2014 

रविवार, 13 अप्रैल 2014

उनकी कविता



















वे कविता नहीं लिखते
कवियों की तरह
वे जीवन और मृत्यु के बीच
ढूंढते हैं सत्य
और बन जाती है कविता

उनको मालूम है
इन दो बड़े छलावों के बीच
भूख ही सत्य है

वे मुट्ठी भींच कर 
लिख रहे हैं कविता   

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सुशील कुमार
14 अप्रैल 2014
दिल्ली  

शनिवार, 23 नवंबर 2013

जानता हूँ




















जब-जब मैं 
बाहर से भीतर की ओर जाता हूँ 
मुझे संकरी गलियों में मिलते हैं 
कुम्हलाये सपने,
संघर्ष की निशानियाँ 
और मंजिल से ठीक पहले 
साथ छोड़ गए साथियों के पदचिन्ह 

झाड़ता हूँ धूल 
चूमता हूँ उनको 

जानता हूँ 
जब मैं मुकाम पर पहुंचूंगा 
ये ही पूजे जायेंगे 

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सुशील कुमार 
दिल्ली 23 नवम्बर 2013 

मंगलवार, 12 नवंबर 2013

दर्द





























किताबी लफ्फाजियों से बहुत दूर 
तुम मुझसे जहां मिलते हो 
वहाँ अपनी धुंधली परछाईयों में 
तुम होते हो 
मैं होता हूँ 
और वेदना के चटके हुए पैमाने होते हैं 

दर्द की दरकती हर परत में 
मुस्कराते हैं हम 
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सुशील कुमार 
दिल्ली, 12 नवम्बर 2013

बुधवार, 14 अगस्त 2013

खबर


















सब जानने लगे हैं कि 
आदमी कुत्ते को काट ले 
तो खबर है 

खबरों के कारोबार में 
जो बिकता है, वो छपता है 
इसीलिए अखबार 
तय नहीं कर पाते 
कि विछिप्त बलात्कारी है 
या वह छप्पन वर्षीय स्त्री 
जो बेघर है 

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सुशील कुमार 
दिल्ली, 6 अगस्त 2013

रविवार, 14 जुलाई 2013

लोकसत्य में प्रकाशित आलेख


में रविवार 14 जुलाई, 2013 को (पृष्ठ 6 पर) छपा आलेख 


(ई-पेपर पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें)


प्रभात खबर में प्रकाशित दो कविताएँ

में रविवार 14 जुलाई 2013 के सृजन पृष्ठ पर छपी है मेरी दो कविताएँ | 

( ई-पेपर पढने के लिए लिंक को क्लिक करें ) 
 

बुधवार, 10 जुलाई 2013

साहित्य कुञ्ज (कनाडा)

कनाडा से संचालित पाक्षिक ई-साहित्यिक वेब-पत्रिका "साहित्य कुञ्ज" में मेरी कविताओं का पन्ना

(ऑनलाइन पढने के लिए निचे तश्वीर पर क्लिक करें)