रविवार, 13 अप्रैल 2014

उनकी कविता



















वे कविता नहीं लिखते
कवियों की तरह
वे जीवन और मृत्यु के बीच
ढूंढते हैं सत्य
और बन जाती है कविता

उनको मालूम है
इन दो बड़े छलावों के बीच
भूख ही सत्य है

वे मुट्ठी भींच कर 
लिख रहे हैं कविता   

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सुशील कुमार
14 अप्रैल 2014
दिल्ली  

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