गुरुवार, 13 सितंबर 2012

खुशी तो खुशी होती है

ये मेरा जूता कहाँ रखा है
खोजते हुए
रोज की तरह
सोच रहा था
कब मिलेगी खुशी
कहीं ये बस छलावा तो नहीं 

इतने में
मुझे झुका हुआ देख
वह पीठ पर जा बैठा
और बोला
चलो घोडा पुरे घर में घुमाओ


धत्त  तेरे की
जब ये ढूंढ़ सकता है
तो मैं क्यूँ नहीं

मैं हंसा

छोटी या बड़ी नहीं
खुशी तो खुशी होती है 



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सुशील कुमार
सितम्बर 14, 2012
रामगढ, झारखण्ड  

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