मंगलवार, 28 मई 2013

विकल्प

बारूदी सुरंग सा जीवन 
तुम्हारे दमनकारी जूतों के इंतज़ार में
तैयार है विस्फोट के लिए 

जिन्दा रहना ही जब सबसे बड़ा सवाल हो
तब विकल्प हो जाते हैं सिमित  
और चुनना पड़ता है 
भूख या बन्दूक 

चुनना पड़ता है
जिन्दा रहने की चाह में 
मौत का एक विकल्प
आत्महत्या या मुठभेड़ 
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सुशील कुमार                              
दिल्ली
29 मई, 2013    

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