तुम गिरफ्त में लेते हो
कुछ इस तरह
जैसे आकाश
पंक्षी को कैद करता है
उन्मुक्त रहने का
भ्रम भी रहे
और
बहार न निकल पाने की
असमर्थता भी ।
कुछ इस तरह
जैसे आकाश
पंक्षी को कैद करता है
उन्मुक्त रहने का
भ्रम भी रहे
और
बहार न निकल पाने की
असमर्थता भी ।
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सुशील कुमार
दिल्ली
13 मई 2013
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