संभावनाओं का शहर
सुशील स्वतंत्र का ब्लॉग
रविवार, 12 मई 2013
पर्दा
न रौशनी रूकती है
न ठंढी हवाएं
अब तो इन
पर्दों को बदल डालो ।
--------------------------
सुशील कुमार
दिल्ली
13 मई 2013
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें