रविवार, 12 मई 2013

गिरफ्त

तुम गिरफ्त में लेते हो
कुछ इस तरह
जैसे आकाश
पंक्षी को कैद करता है

उन्मुक्त रहने का
भ्रम भी रहे
और
बहार न निकल पाने की
असमर्थता भी  ।  


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सुशील कुमार 
दिल्ली 
13 मई 2013  

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