संभावनाओं का शहर
सुशील स्वतंत्र का ब्लॉग
रविवार, 10 अक्टूबर 2010
बाप-बेटा
ट्रौली पर बैठा कर
पार्क की जॉगिंग ट्रैक पर
धकियाते हुए बड़ा हुआ
और
पापा के आधुनिक कहलाने की
हसरत पूरी करता रहा
ऊष्मा गोद में भी होती है
जान पाया
बाप बनने के बाद !
**सुशील कुमार **
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