ये मेरा जूता कहाँ रखा है
खोजते हुए
रोज की तरह
सोच रहा था
कब मिलेगी खुशी
कहीं ये बस छलावा तो नहीं
इतने में
मुझे झुका हुआ देख
वह पीठ पर जा बैठा
और बोला
चलो घोडा पुरे घर में घुमाओ
धत्त तेरे की
जब ये ढूंढ़ सकता है
तो मैं क्यूँ नहीं
मैं हंसा
छोटी या बड़ी नहीं
खुशी तो खुशी होती है
----------------------------
सुशील कुमार
सितम्बर 14, 2012
रामगढ, झारखण्ड
खोजते हुए
रोज की तरह
सोच रहा था
कब मिलेगी खुशी
कहीं ये बस छलावा तो नहीं
इतने में
मुझे झुका हुआ देख
वह पीठ पर जा बैठा
और बोला
चलो घोडा पुरे घर में घुमाओ
धत्त तेरे की
जब ये ढूंढ़ सकता है
तो मैं क्यूँ नहीं
मैं हंसा
छोटी या बड़ी नहीं
खुशी तो खुशी होती है
----------------------------
सुशील कुमार
सितम्बर 14, 2012
रामगढ, झारखण्ड
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें