संभावनाओं का शहर
सुशील स्वतंत्र का ब्लॉग
शनिवार, 3 दिसंबर 2011
ज़िन्दगी के रास्ते
ज़िन्दगी के रास्ते अब मुश्किल न होंगे,
तेरी जुल्फ की पेंचो से होकर जो गुजरा हूँ !
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