संभावनाओं का शहर
सुशील स्वतंत्र का ब्लॉग
सोमवार, 1 नवंबर 2010
बाई-द-वे
जान पहचान हुई
और समझ लिया कि
हैं अपार संभावनाएं
दोस्त हो जाने की
बस, बाई-द-वे
अपना सरनेम बता दिया होता
तो क्या बात थी
** सुशील कुमार **
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