नग्न खड़ा हूँ चौराहे पर
महलों को ताकता टुकुर-टुकुर
हुक्मरानों नें कर के चीरहरण
निगेहबानी की सौपी है मुझको कमान
मन करता है भागूं-दौडूँ
पर जाऊ कहाँ यूँ निर्वस्त्र ?
*** सुशील कुमार ***
महलों को ताकता टुकुर-टुकुर
हुक्मरानों नें कर के चीरहरण
निगेहबानी की सौपी है मुझको कमान
मन करता है भागूं-दौडूँ
पर जाऊ कहाँ यूँ निर्वस्त्र ?
*** सुशील कुमार ***