ये महज़ कोई
हसीन इत्तेफ़ाक तो नहीं हो सकता
कि तुम जब आये
तब
हासिल करने के लिए पूरी कायनात थी
और जब गए
तब
खोने के लिए कुछ भी नहीं है
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(सुशील कुमार)
जनवरी 30, 2012
राजकोट, गुजरात
हसीन इत्तेफ़ाक तो नहीं हो सकता
कि तुम जब आये
तब
हासिल करने के लिए पूरी कायनात थी
और जब गए
तब
खोने के लिए कुछ भी नहीं है
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(सुशील कुमार)
जनवरी 30, 2012
राजकोट, गुजरात