सोमवार, 30 जनवरी 2012

हसीन इत्तेफ़ाक

ये महज़ कोई
हसीन इत्तेफ़ाक तो नहीं हो सकता

कि तुम जब आये
तब
हासिल करने के लिए पूरी कायनात थी

और जब गए
तब
खोने के लिए कुछ भी नहीं है

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(सुशील कुमार)
जनवरी 30, 2012
राजकोट, गुजरात

शुक्रवार, 27 जनवरी 2012

दरियाई आँखें

तश्वीर गूगल से साभार
















अपनी आगोश में दरिया 
किसी को देर तक पनाह नहीं देता 

ये फितरत ही है उसकी 
कि आगोश में लेकर
साहिल के हवाले कर देता है एक रोज

शुक्र है कि उन दरियाई आँखों पर
कभी ऐतबार न हुआ मुझको . . .


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(सुशील कुमार)
जनवरी 27 , 2012
राजकोट, गुजरात