बुधवार, 30 नवंबर 2011

अनकहा सा कुछ

वो जो कुछ अनकहा सा था हमारे बीच 
काश मै समझ पाता
काश तुम समझ पाते

मै कहता रहा कुछ और 
तुम समझते रहे कुछ और 

मेरे कहने और तुम्हारे समझने के बीच भी था कुछ
काश मै समझ पाता
काश तुम समझ पाते 

(सुशील कुमार)